See how harmful mobile phone usage for your kids

मां-बाप के लिए सुचना ! पालन पोषण में कैसे हो रही है कमी ? देखें ख़ास ख़बर     

See how harmful mobile phone usage for your kids

See how harmful mobile phone for your kids

Phone usage danger for your kids : आजकल मोबाइल के इस्तेमाल से जहां बढ़ो को व्यस्त कर दिया वहीं बच्चों को भी इसकी लत ऐसी लगी है कि वह अपनी पढ़ाई की तरफ कम ध्यान और घर पर बैठ फ़ोन पर गेम्स और वीडियोस ज्यादा देखते है। ऐसा करना उनका रोज़ के तौर पर बहुत ख़तरनाक बन रहा है क्योंकि इससे उनके मानसिक स्थिति से लेकर शारीरिक स्थिति पर प्रभाव पड़ रहा है जो की उनकी अच्छी परवरिश में बाधा दाल सकता है। अगर आपके बच्चे की उम्र भी 5 से 6 साल या इससे कम हैं तो आपको अपने बच्चे पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है। आज हम आपको इस लेख में यहीं बताएंगे कि बच्चो के लिए मोबाईल का इस्तेमाल करना उनके लिए कितना हानिकारक है।

सबसे पहले ये समझे कि बच्चो को मोबाइल देना जरूरी है या नहीं 
क्या बच्चों को मोबाइल देना चाहिए?
एक सर्वे के द्वारा ये माना गया है कि 6 साल की उम्र के बच्चों को मोबाइल फोन नहीं देना चाहिए या नहीं! तो ये समझना जरूरी है कि वे अभी उनके शिक्षा और उनकी विकास के महत्वपूर्ण चरणों में होते हैं, जहां उन्हें नैतिक एवं सामाजिक नियमों, अभिव्यक्ति के साधनों और समय के मूल्य की समझ का अभ्यास करना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को स्क्रीन टाइम से दूर रखना चाहिए ताकि वे शारीरिक गतिविधियों और खेलने के साथ समय बिता सकें। अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को मोबाइल फोन की आवश्यकता है, तो आप उन्हें कुछ देर के लिए सुपर्वाइज्ड और नियंत्रित उपयोग करने की अनुमति दे सकते हैं। इस तरह से, आप उन्हें सामाजिक एवं शैक्षिक विकास के साथ सुरक्षित उपयोग सीखा सकते हैं तो ये बहुत जरूरी है कि मा - बाप को चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ समय बिताए बजाए इसके कि बच्चे खुद ही मोबाइल साथ समय बिताए। 

Bad effects of Mobile Phones on Children || Dangers of Cell Phones For Kids  - SandeepPooni |A Blog For Latest Technology, New Tech Articles, Global  Educational News

यह भी पढ़े : गर्मियों के लिए इन मार्केट्स से खरीदें कपड़े, घर में पहनने से लेकर ऑफिस वियर तक की शानदार और सस्ती वैरायटी मिलती है यहां देखें 

बच्चों की आंखो की रौशनी का बढ़ता है खतरा
AIIMS
के नेत्र रोग विभाग के अनुमान के मुताबिक स्कूली बच्चों में मोबाइल की स्क्रीन से चिपके रहने की वजह से कम दिखाई देने की समस्या बढ़ने लगी है। अनुमान के मुताबिक 2050 तक भारत के लगभग आधे यानी तकरीबन 40 प्रतिशत बच्चे मायोपिया (Myopia) के शिकार हो चुके होंगे। मायोपिया यानी दूर की चीजें धुंधली दिखना। इसमें आपके बच्चे देर तक पास की चीजों जैसे मोबाइल, किताब या नजदीक से टीवी स्क्रीन पर फोकस करते रहते हैं तो दूर की नजर धुंधली होने लगती है। आंखों की दूर तक फोकस करने की आदत और क्षमता दोनों ही कम होने लगती है। बच्चों की आंखों की मसल्स और नाजुक होती हैं, इसलिए उन पर इसका जल्दी असर होता है। और जब तक इसे लेकर समझ विकसित होती है, तब तक आंखों में मोटा चश्मा चढ़ चुका होता है और कम उम्र में बच्चों को ज्यादा नज़र का चस्मा लग जाता है। 

4 Harmful Effects Of Mobile Phones On Children

यह भी पढ़े : इस इफ्तार पर बनाएं रिफ्रेशिंग रोज़ मोइतो, गर्मी से मिलेगी राहत, देखें ये रेसिपी

मोबाइल पर ज्यादा समय बिताना छोटे बच्चों के लिए कई तरह के नुकसान हो सकते है जैसे कि ये 
1. आंकड़ों के मुताबिक 12 से 18 महीने की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है। ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।
2. आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं। 
3. स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। 
4. कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। 
5. मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं। इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है। 
6. बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं।
7. बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं। अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।
8. फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। 
9. माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है। 
10. बच्चों का इमोशनल ड्रामा सहन न करें। अपने जवाब या राय में निरंतरता रखें। एक दिन ‘न’ और दूसरे दिन ‘हां’ न कहें। रोने लगें तो ध्यान न दें। बाद में प्यार से समझाएं। 
11. इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी।